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हिंदी निबंध : "बालक एक कच्ची मिट्टी की तरह है। उसका निर्माण उसके चारों ओर का प्रवेश करता है।"

 "बालक एक कच्ची मिट्टी की तरह है। उसका निर्माण उसके चारों ओर का प्रवेश करता है। प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, पारिवारिक एवं स्कूली वातावरण के संदर्भ में उदाहरण देकर एक संक्षिप्त प्रस्ताव लिखिए ।" बालपन मानव का निर्माण- काल होता है। यह अवस्था उस कोमल पौधे के समान होती है जो विकास की ओर बढ़ रहा होता है और जिसको अपनी इच्छा अनुसार चाहे जिधर मोढ़ा भी जा सकता है। एक बालक एक सफल मनुष्य बन सकता है जब उसकी नीव सुदृध होगी और वह तभी होगी जब उस बालक की परवरिश एक स्वस्थ वातावरण में होगी। चारों ओर का वातावरण बालक के दिमाग पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है। वह वही सीखता है जो अपने आस-पास देखता है, और ऐसी ही उसकी जीवन की नींव पढ़नी प्रारंभ होती है।  प्राचीन काल में बालक अपने ब्रह्मचर्य-काल में अपने गुरु से खुले जंगलों में गुरुकुल में पढ़ते थे जहां आस-पास हर जगह हरियाली ही हरियाली होती थी। वे बालक प्रकृति के बहुत समीप होते थे और प्रकृति उनमें नवीन भावनाओं को जन्म देती थी। वे ताजी हवा में सांस लेते थे और ताजे फल-सब्जियां खाते थे, इसलिए सदा हृष्ट-पुष्ट रहते थे...

हिंदी निबंध : एक ऐसे व्यक्तित्व (शिक्षक) का परिचय दीजिए जो आपको विरासत में मिलकर आपका मार्गदर्शक बन गया है ।

विषय :- एक ऐसे व्यक्तित्व (शिक्षक) का परिचय दीजिए जो आपको विरासत में मिलकर आपका मार्गदर्शक बन गया है । " गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूँ पाँय,  बलिहारी गुरु आपने ,गोविंद दियो बताय। " गुरु और गोविंद अगर दोनों सामने खड़े हो तो भी पहले गुरु के ही पैर पड़ना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही ईश्वर से मिलाया । सभी शिक्षक आदर्श होते हैं क्योंकि मैं एक बहुत अच्छा, पवित्र एवं जीवन-मूल्यों से युक्त जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। यूँ तो बालक अपने जीवन में अनेक अध्यापकों के संपर्क में आता है, परंतु सभी श्रेष्ठ गुरुजनों से क्षमा मांगते हुए मैं यह कहने का साहस कर रहा हूं कि कभी-कभी कोई व्यक्तिअपरिचित होते हुए भी सहसा हमारे बहुत निकट आ जाता है और हमारा सबसे प्रिय बन जाता है। जाने कब! पर बन ही जाता है क्योंकि उसका व्यवहार हमारे अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालता है और स्थायी  स्थान बना लेता है। एक आदर्श शिक्षक में सदाचार, विनम्रता, मृदुता, स्वावलंबन, सहयोग, कठिन परिश्रम, आत्मनिर्भरता, सबको एक दृष्टि से देखना आदि होते हैं। वे अपने गुणों के कारण कठिनाई के ...

कहानी - बात अठन्नी की

लेखक परिचय :   सुदर्शन जी का वास्तविक नाम बद्रीनाथ था उसका । इनका जन्म सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) बेसन 1895 में हुआ था उनके । इन्होंने उर्दू में प्रकाशित होने वाले दैनिक पत्र ' आर्य - गजट ' के संपादक के रूप में कार्य किया । मुंबई में 16 दिसंबर 1976 को इनका निधन हो गया। इनका दृष्टि को सुधारवादी था ।इनकी पहली कहानी 'हार की जीत ' थी जो सन 1920 में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुई थी ।' पुष्पलता', 'सुप्रभात ', 'सुदर्शन सुधा', 'पनघट' इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह तथा 'परिवर्तन', ' भागवंती ',  'राजकुमार सागर' प्रसिद्ध उपन्यास हैं। सुदर्शन की भाषा सहज, स्वाभाविक, प्रभावी तथा मुहावरेदार है । सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों का महारत हासिल थी । आपने अनेक फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे।  बात अठन्नी की रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहां नौकर था । ₹10 वेतन था । रसीला इंजीनियर बाबू जगत सिंह के  यहां नौकर था । ₹10 वेतन था । गांव में उसके बूढ़े पिता पत्नी एक लड़की और दो लड़के थे। इन सब का भात उसी के कंधो पर  था। वह सारी भेज देता...