"बालक एक कच्ची मिट्टी की तरह है। उसका निर्माण उसके चारों ओर का प्रवेश करता है। प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, पारिवारिक एवं स्कूली वातावरण के संदर्भ में उदाहरण देकर एक संक्षिप्त प्रस्ताव लिखिए ।" बालपन मानव का निर्माण- काल होता है। यह अवस्था उस कोमल पौधे के समान होती है जो विकास की ओर बढ़ रहा होता है और जिसको अपनी इच्छा अनुसार चाहे जिधर मोढ़ा भी जा सकता है। एक बालक एक सफल मनुष्य बन सकता है जब उसकी नीव सुदृध होगी और वह तभी होगी जब उस बालक की परवरिश एक स्वस्थ वातावरण में होगी। चारों ओर का वातावरण बालक के दिमाग पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है। वह वही सीखता है जो अपने आस-पास देखता है, और ऐसी ही उसकी जीवन की नींव पढ़नी प्रारंभ होती है। प्राचीन काल में बालक अपने ब्रह्मचर्य-काल में अपने गुरु से खुले जंगलों में गुरुकुल में पढ़ते थे जहां आस-पास हर जगह हरियाली ही हरियाली होती थी। वे बालक प्रकृति के बहुत समीप होते थे और प्रकृति उनमें नवीन भावनाओं को जन्म देती थी। वे ताजी हवा में सांस लेते थे और ताजे फल-सब्जियां खाते थे, इसलिए सदा हृष्ट-पुष्ट रहते थे...
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